नई दिल्ली । विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन का कोई नतीजा सामने नहीं आया। इस बैठक में 22 दल शामिल हुए। राहुल गांधी ने कहा, "लॉकडाउन के दो मकसद थे, बीमारी (कोरोना) को रोकना और इसके प्रसार को रोकना लेकिन संक्रमण बढ़ रहा है।"
उन्होंने कहा, "आज संक्रमण बढ़ रहा है लेकिन हम लॉकडाउन को हटा रहे हैं। इसका मतलब है कि लॉकडाउन को बिना सोचे समझे लागू किया गया और इसने सही परिणाम नहीं दिया।"
राहुल ने कहा कि लॉकडाउन ने करोड़ों लोगों को भारी नुकसान पहुंचाया है। लेकिन सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है और न ही 7,500 रुपये नकद उनके खातों में डाल रही है। अगर उन्हें राशन नहीं दिया जाता है, अगर प्रवासियों और एमएसएमई कामगारों की मदद नहीं की जाती है तो यह भयावह होगा।
उन्होंने कहा, "हम पैकेज को स्वीकार नहीं करते हैं, लोग ऋण नहीं बल्कि सहायता चाहते हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी आवाज उठाएं। यह देश के लिए है, पार्टियों के लिए नहीं। अगर कुछ नहीं किया गया तो करोड़ों लोग गरीबी में धकेल दिया जाएंगे।"
इससे पहले सोनिया गांधी ने अपनी टिप्पणी में तीखा हमला किया और कहा कि संघवाद की भावना को भुला दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सारी शक्ति अब एक कार्यालय, पीएमओ में केंद्रित है। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का एक अभिन्न अंग है, इसे भुला दिया गया है।
--आईएएनएस
उन्होंने कहा, "आज संक्रमण बढ़ रहा है लेकिन हम लॉकडाउन को हटा रहे हैं। इसका मतलब है कि लॉकडाउन को बिना सोचे समझे लागू किया गया और इसने सही परिणाम नहीं दिया।"
राहुल ने कहा कि लॉकडाउन ने करोड़ों लोगों को भारी नुकसान पहुंचाया है। लेकिन सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है और न ही 7,500 रुपये नकद उनके खातों में डाल रही है। अगर उन्हें राशन नहीं दिया जाता है, अगर प्रवासियों और एमएसएमई कामगारों की मदद नहीं की जाती है तो यह भयावह होगा।
उन्होंने कहा, "हम पैकेज को स्वीकार नहीं करते हैं, लोग ऋण नहीं बल्कि सहायता चाहते हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी आवाज उठाएं। यह देश के लिए है, पार्टियों के लिए नहीं। अगर कुछ नहीं किया गया तो करोड़ों लोग गरीबी में धकेल दिया जाएंगे।"
इससे पहले सोनिया गांधी ने अपनी टिप्पणी में तीखा हमला किया और कहा कि संघवाद की भावना को भुला दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सारी शक्ति अब एक कार्यालय, पीएमओ में केंद्रित है। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का एक अभिन्न अंग है, इसे भुला दिया गया है।
--आईएएनएस
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