
नई दिल्ली। नये संसद भवन के निर्माण कार्य की तैयारियां पूरी हो गयी हैं। नये संसद भवन को भव्यता देने के लिए इसमें स्थापत्य कला और आधुनिकता का मिश्रण किया जायेगा। प्रयास किया जा रहा है नये भवन के जरिये नया इतिहास रचा जाए और नये प्रतीक खड़े किये जाएं। इससे पहले देश भर में लागू की गयी देशव्यापी 'बंदी' की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया था। लेकिन नया संसद भवन कैसा होगा, क्या सुविधा होगी, सुरक्षा के क्या इंतजाम होंगे इन सारे प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
ध्यान रहे कि नया संसद भवन कैसा हो, इस पर माननीय सांसदों की भी राय ली जा चुकी है। इस बावत लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बजट सेशन के दौरान ही सामान्य प्रयोजन संबंधी समिति की बैठक बुलाकर सांसदों से सुझाव मांगे थे। बैठक में संसद की सभी समितियों के अध्यक्ष के साथ पार्टी अध्यक्षों को भी बुलाया गया था।
बैठक में सभी सदस्यों के सामने डिजिटल प्रजेंटेशन भी हुआ। प्रजेंटेशन में संसद भवन का प्रारूप, अंदर की साज सज्जा और सुविधा, बनावट, सुरक्षा व्यवस्था पर विस्तार से चर्चा हुई थी। इस बैठक के बाद भी कई सदस्यों ने लिखित सुझाव भी दिया था।
बैठक में शामिल हुए बीजू जनता दल के नेता पिनाकी मिश्रा ने बताया कि उन्होंने अपनी पार्टी की तरफ से कहा कि नये संसद भवन के निर्माण में इस बात का ध्यान रखा जाए कि पुराने भवन में शामिल सभी ऐतिहासिक धरोहरों को शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि भवन छोटा भी हो तो चलेगा, लेकिन इसकी ऐतिहासिक धरोहर वाली छवि बनी रहे।
जाहिर है संसद भवन में भारतीयता की छाप भरपूर रखने की वकालत की गयी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भवन निर्माण में भारतीय वास्तुकला, भारतीय शिल्प कला को प्रमुखता दी जायेगी। मौजूदा संसद भवन में उकेरे गये वेदों और उपनिषदों के श्लोक से ज्यादा नए भवन में उकेरे जायेंगे। भारतीय संस्कृति, लोकाचार, भारतीय परंपरा का भी भरपूर ध्यान नये संसद भवन में रखा जाएगा।
नये संसद भवन में आध्यात्मिक केंद्र भी बनाये जाने हैं, जिसमें सर्वधर्म प्रार्थना स्थल होगा। संसद भवन में स्वदेशी कलाकृतियों को भी भरपूर स्थान दिया जायेगा। नये भवन में भारतीय संस्कृति, परंपरा, कला समेत स्वदेशी कला परंपरा को तरजीह दी जायेगी।
संसद भवन में सांसदों के गाड़ी से उतरने के बाद उनके कक्ष तक इलेक्ट्रिक कार से ले जाने की व्यवस्था की बजाय, इस तरह का निर्माण किया जा सकेगा, जिससे सांसद गाड़ी से उतरने के बाद 'वाक वे' के जरिये अपने गंतव्य को जा सकें।
बताया गया है कि प्रस्तावित नए संसद भवन में सेंट्रल हॉल का प्रावधान नहीं रखा गया था, लेकिन सांसदों ने सुझाव दिया है कि सेंट्रल हॉल अनिवार्य है, इसे बनाया जाना चाहिए ताकि राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य आपस में मिल सकें और विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।
पहले नये संसद भवन के निर्माण के लिये 2022 तक का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन राष्ट्रव्यापी बंदी की वजह से अब थोड़ा विलंब हो सकता है।
-- आईएएनएस
ध्यान रहे कि नया संसद भवन कैसा हो, इस पर माननीय सांसदों की भी राय ली जा चुकी है। इस बावत लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बजट सेशन के दौरान ही सामान्य प्रयोजन संबंधी समिति की बैठक बुलाकर सांसदों से सुझाव मांगे थे। बैठक में संसद की सभी समितियों के अध्यक्ष के साथ पार्टी अध्यक्षों को भी बुलाया गया था।
बैठक में सभी सदस्यों के सामने डिजिटल प्रजेंटेशन भी हुआ। प्रजेंटेशन में संसद भवन का प्रारूप, अंदर की साज सज्जा और सुविधा, बनावट, सुरक्षा व्यवस्था पर विस्तार से चर्चा हुई थी। इस बैठक के बाद भी कई सदस्यों ने लिखित सुझाव भी दिया था।
बैठक में शामिल हुए बीजू जनता दल के नेता पिनाकी मिश्रा ने बताया कि उन्होंने अपनी पार्टी की तरफ से कहा कि नये संसद भवन के निर्माण में इस बात का ध्यान रखा जाए कि पुराने भवन में शामिल सभी ऐतिहासिक धरोहरों को शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि भवन छोटा भी हो तो चलेगा, लेकिन इसकी ऐतिहासिक धरोहर वाली छवि बनी रहे।
जाहिर है संसद भवन में भारतीयता की छाप भरपूर रखने की वकालत की गयी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भवन निर्माण में भारतीय वास्तुकला, भारतीय शिल्प कला को प्रमुखता दी जायेगी। मौजूदा संसद भवन में उकेरे गये वेदों और उपनिषदों के श्लोक से ज्यादा नए भवन में उकेरे जायेंगे। भारतीय संस्कृति, लोकाचार, भारतीय परंपरा का भी भरपूर ध्यान नये संसद भवन में रखा जाएगा।
नये संसद भवन में आध्यात्मिक केंद्र भी बनाये जाने हैं, जिसमें सर्वधर्म प्रार्थना स्थल होगा। संसद भवन में स्वदेशी कलाकृतियों को भी भरपूर स्थान दिया जायेगा। नये भवन में भारतीय संस्कृति, परंपरा, कला समेत स्वदेशी कला परंपरा को तरजीह दी जायेगी।
संसद भवन में सांसदों के गाड़ी से उतरने के बाद उनके कक्ष तक इलेक्ट्रिक कार से ले जाने की व्यवस्था की बजाय, इस तरह का निर्माण किया जा सकेगा, जिससे सांसद गाड़ी से उतरने के बाद 'वाक वे' के जरिये अपने गंतव्य को जा सकें।
बताया गया है कि प्रस्तावित नए संसद भवन में सेंट्रल हॉल का प्रावधान नहीं रखा गया था, लेकिन सांसदों ने सुझाव दिया है कि सेंट्रल हॉल अनिवार्य है, इसे बनाया जाना चाहिए ताकि राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य आपस में मिल सकें और विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।
पहले नये संसद भवन के निर्माण के लिये 2022 तक का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन राष्ट्रव्यापी बंदी की वजह से अब थोड़ा विलंब हो सकता है।
-- आईएएनएस
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