
नई दिल्ली ।| विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के अनुरोध को लेकर राजस्थान के राज्यपाल और अशोक गहलोत सरकार के बीच चल रही तकरार के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि इससे एक 'खतरनाक मिसाल' कायम हो सकती है। कलराज मिश्र का नाम लिए बगैर राजस्थान के राज्यपाल पर हमला बोलते हुए कांग्रेस के कोषाध्यक्ष ने कहा, "हमारे इतिहास में ऐसा शायद पहली बार देखने को मिल रहा है कि एक राज्यपाल निर्वाचित मुख्यमंत्री के अनुरोध और परामर्श के बावजूद विधानसभा का सत्र बुलने के इच्छुक नहीं हैं।"
पटेल ने चेताया कि इससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो सकता है और देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक बुरी मिसाल कायम हो सकती है।
उन्होंने एक बयान में कहा, "अगर ऐसी खतरनाक मिसाल कायम करने दी गई तो तब क्या होगा, अगर राष्ट्रपति केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बावजूद संसद का सत्र बुलाने से इनकार कर दें?"
पटेल ने कहा कि अगर ऐसा होने दिया गया तो अराजकता पैदा होगी और राजस्थान के राज्यपाल के रवैये को लेकर केंद्र सरकार को चेताया।
कांग्रेस इस बात पर अड़ी है कि राज्यपाल को इस मामले में कोई अधिकार नहीं है। वरिष्ठ पार्टी नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा था कि राज्यपाल को इस मामले में कोई 'अधिकार' नहीं है और सवाल यह है कि राज्यपाल ने जिस तरह अनुरोध को ठुकराया, वह अनुचित और उनके प्राधिकार से परे है।
राजस्थान कैबिनेट की मंगलवार को बैठक हुई थी, जिसमें जवाब का मसौदा तैयार किया गया और 31 जुलाई को सत्र बुलाने का अनुरोध करते हुए राज्यपाल को तीसरी बार पत्र भेजा है।
पटेल ने कहा, "सरकार का कहना है कि राज्यपाल इस पर सवाल नहीं कर सकते, फिर भी हम उनके सवालों के जवाब दे रहे हैं। जहां तक 21 दिनों के नोटिस का सवाल है, 10 दिन बीत ही चुके हैं, फिर भी राज्यपाल ने कोई तारीख जारी नहीं की है। अगर राज्यपाल इस समय हमारा प्रस्ताव स्वीकार नहीं करते हैं, तब स्पष्ट हो जाएगा कि देश का शासन संविधान से नहीं चल रहा है।"
--आईएएनएस
पटेल ने चेताया कि इससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो सकता है और देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक बुरी मिसाल कायम हो सकती है।
उन्होंने एक बयान में कहा, "अगर ऐसी खतरनाक मिसाल कायम करने दी गई तो तब क्या होगा, अगर राष्ट्रपति केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बावजूद संसद का सत्र बुलाने से इनकार कर दें?"
पटेल ने कहा कि अगर ऐसा होने दिया गया तो अराजकता पैदा होगी और राजस्थान के राज्यपाल के रवैये को लेकर केंद्र सरकार को चेताया।
कांग्रेस इस बात पर अड़ी है कि राज्यपाल को इस मामले में कोई अधिकार नहीं है। वरिष्ठ पार्टी नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा था कि राज्यपाल को इस मामले में कोई 'अधिकार' नहीं है और सवाल यह है कि राज्यपाल ने जिस तरह अनुरोध को ठुकराया, वह अनुचित और उनके प्राधिकार से परे है।
राजस्थान कैबिनेट की मंगलवार को बैठक हुई थी, जिसमें जवाब का मसौदा तैयार किया गया और 31 जुलाई को सत्र बुलाने का अनुरोध करते हुए राज्यपाल को तीसरी बार पत्र भेजा है।
पटेल ने कहा, "सरकार का कहना है कि राज्यपाल इस पर सवाल नहीं कर सकते, फिर भी हम उनके सवालों के जवाब दे रहे हैं। जहां तक 21 दिनों के नोटिस का सवाल है, 10 दिन बीत ही चुके हैं, फिर भी राज्यपाल ने कोई तारीख जारी नहीं की है। अगर राज्यपाल इस समय हमारा प्रस्ताव स्वीकार नहीं करते हैं, तब स्पष्ट हो जाएगा कि देश का शासन संविधान से नहीं चल रहा है।"
--आईएएनएस
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