
नई दिल्ली। इंडियन पायलट्स गिल्ड (आईपीजी) ने एयर इंडिया की अवैतनिक अवकाश योजना को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की है। यह योजना 14 जुलाई को सर्कुलेट की गई थी। याचिका में कहा गया है कि यह योजना कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक को किसी कर्मचारी को छह महीने या दो साल के लिए (जिसे बढ़ाकर पांच साल तक किया जा सकता है) अनिवार्य रूप से अवैतनिक अवकाश पर भेजने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने का असंगत अधिकार देती है।
पायलटों ने कहा है कि आईपीजी और उड़ान क्रू के अन्य स्टाफ की भूमिका और साहस की नागरिक उड्डयन मंत्री ने खुद सराहना की है। इसके बावजूद देश की सेवा के लिए जान जोखिम में डालने के एवज में पुरस्कार देने के बदले एयर इंडिया ने सभी कर्मचारियों के भत्तों में 10 प्रतिशत कटौती लागू कर दी है।
याचिका में कहा गया है, "इस सच्चाई के बावजूद कि बाजार में कोई नौकरी नहीं है और इतनी लंबी अवधि तक बगैर आय के किसी के लिए सर्वाइव कर पाना असंभव है, यह योजना एक व्यक्ति और उसके परिवार की आजीविका और जीवन के अधिकार पर एक सीधा हमला है। इस योजना में सुनवाई या समीक्षा की कोई प्रक्रिया न होना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।"
इस योजना को चुनौती इसलिए दी गई है, क्योंकि एयर इंडिया के सीएमडी को यह एकतरफा अधिकार दे दिया गया है कि वह जिस भी कर्मचारी को चाहें छह महीने या दो साल और विस्तारित पांच साल के लिए अनिवार्य रूप से अवैतनिक अवकाश पर भेज सकते हैं।
इस अवधि के दौरान कोई वेतन, भत्ता, वैधानिक लाभ और कैरियर प्रोगेशन उपलब्ध नहीं होगा। कर्मचारी को कंपनी के द्वारा दिए गए आवास को खाली करना होगा, या फिर बाजार दर से किराया देना होगा। अनिवार्य अवैतनिक अवकाश पर भेजे जाने से पहले कर्मचारी को सभी ऋण और एयर इंडिया से लिए गए सभी एडवांसेस का भुगतान करना होगा।
याचिका में कहा गया है कि कर्मचारी को किसी सरकारी कार्यालय या सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम में कोई नौकरी करने की अनुमति नहीं होगी और यदि वह किसी दूसरी विमानन कंपनी में कोई नौकरी करना चाहता है, तो पहले एयर इंडिया से अनुमति लेनी होगी।
एयर इंडिया को चालू रखने के लिए अपनाए जाने वाले मितव्ययिता के उपायों पर चर्चा के लिए पायलटों की संस्था और एयर इंडिया के बीच चार बैठकें हुई थीं।
याचिकाकर्ता संस्था ने पायलटों की समन्वय संस्था के साथ मिलकर 16 जुलाई को एक पत्र जारी किया था, जिसमें चारों बैठकों के दौरान प्रबंधन के साथ हुई चर्चा को शामिल किया गया था।
लेकिन यह पत्र जारी करने के तत्काल बाद याचिकाकर्ताओं को पता चला कि प्रतिवादी ने 14 जुलाई की तारीख वाला एक स्टाफ नोटिस जारी कर अनिवार्य अवैतनिक अवकाश योजना का पारित कर दिया है। (आईएएनएस)
पायलटों ने कहा है कि आईपीजी और उड़ान क्रू के अन्य स्टाफ की भूमिका और साहस की नागरिक उड्डयन मंत्री ने खुद सराहना की है। इसके बावजूद देश की सेवा के लिए जान जोखिम में डालने के एवज में पुरस्कार देने के बदले एयर इंडिया ने सभी कर्मचारियों के भत्तों में 10 प्रतिशत कटौती लागू कर दी है।
याचिका में कहा गया है, "इस सच्चाई के बावजूद कि बाजार में कोई नौकरी नहीं है और इतनी लंबी अवधि तक बगैर आय के किसी के लिए सर्वाइव कर पाना असंभव है, यह योजना एक व्यक्ति और उसके परिवार की आजीविका और जीवन के अधिकार पर एक सीधा हमला है। इस योजना में सुनवाई या समीक्षा की कोई प्रक्रिया न होना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।"
इस योजना को चुनौती इसलिए दी गई है, क्योंकि एयर इंडिया के सीएमडी को यह एकतरफा अधिकार दे दिया गया है कि वह जिस भी कर्मचारी को चाहें छह महीने या दो साल और विस्तारित पांच साल के लिए अनिवार्य रूप से अवैतनिक अवकाश पर भेज सकते हैं।
इस अवधि के दौरान कोई वेतन, भत्ता, वैधानिक लाभ और कैरियर प्रोगेशन उपलब्ध नहीं होगा। कर्मचारी को कंपनी के द्वारा दिए गए आवास को खाली करना होगा, या फिर बाजार दर से किराया देना होगा। अनिवार्य अवैतनिक अवकाश पर भेजे जाने से पहले कर्मचारी को सभी ऋण और एयर इंडिया से लिए गए सभी एडवांसेस का भुगतान करना होगा।
याचिका में कहा गया है कि कर्मचारी को किसी सरकारी कार्यालय या सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम में कोई नौकरी करने की अनुमति नहीं होगी और यदि वह किसी दूसरी विमानन कंपनी में कोई नौकरी करना चाहता है, तो पहले एयर इंडिया से अनुमति लेनी होगी।
एयर इंडिया को चालू रखने के लिए अपनाए जाने वाले मितव्ययिता के उपायों पर चर्चा के लिए पायलटों की संस्था और एयर इंडिया के बीच चार बैठकें हुई थीं।
याचिकाकर्ता संस्था ने पायलटों की समन्वय संस्था के साथ मिलकर 16 जुलाई को एक पत्र जारी किया था, जिसमें चारों बैठकों के दौरान प्रबंधन के साथ हुई चर्चा को शामिल किया गया था।
लेकिन यह पत्र जारी करने के तत्काल बाद याचिकाकर्ताओं को पता चला कि प्रतिवादी ने 14 जुलाई की तारीख वाला एक स्टाफ नोटिस जारी कर अनिवार्य अवैतनिक अवकाश योजना का पारित कर दिया है। (आईएएनएस)
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.