
लखनऊ :मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन हो गया. वे लखनऊ के मेदांता अस्पताल में पिछले तीन महीने से भर्ती थे. वे 85 वर्ष के थे. उनके निधन की जानकारी बेटे आशुतोष टंडन ने ट्वीट कर दी है. टंडन राज्यपाल से पहले लोकसभा में सांसद भी रहे हैं.
मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ राकेश कपूर ने कहा, 'मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का सुबह पांच बजकर 35 मिनट पर निधन हो गया.' टंडन के पुत्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन ने जानकारी दी कि लालजी टंडन का अंतिम संस्कार गुलाला घाट चौक में शाम साढ़े चार बजे होगा.उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टंडन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, 'लालजी टंडन के निधन पर देश ने एक लोकप्रिय जन नेता, योग्य प्रशासक एवं प्रखर समाज सेवी को खो दिया है.' उत्तर प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. टंडन को पिछले महीने 11 जून को सांस लेने में दिक्कत, बुखार और पेशाब संबंधी समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत खराब होने के कारण उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्य प्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था.
पीएम मोदी ने जताया शोक- एमपी के राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है. पीएम ने लिखा, ' लालजी टंडन को समाज की सेवा के उनके अथक प्रयासों के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने एक प्रभावी प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई और हमेशा लोक कल्याण को महत्व दिया.उनके निधन से मैं दुखी हूं.'
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर मंगलवार को गहरा शोक व्यक्त किया. मायावती ने ट्वीट किया, 'मध्यप्रदेश के राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में कई बार वरिष्ठ मंत्री रहे लालजी टंडन बहुत सामाजिक, मिलनसार एवं संस्कारी व्यक्ति थे. इलाज के दौरान आज लखनऊ में उनका निधन होने की खबर अति-दुःखद है. मैं उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं.' बसपा सुप्रीमो अगस्त 2003 में जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं, उस समय उन्होंने रक्षाबंधन के मौके पर टंडन को राखी बांधी थी.
पार्षद से शुरू किए थे राजनीतिक का सफर- लालजी टंडन अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत एक पार्षद के रूप में किए थे. इसके बाद वे जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. लालजी टंडन मायावती और कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी रहे. वहीं जब अटल बिहारी वाजपेई ने लखनऊ की लोकसभा सीट छोड़ी तो वे इसपर चुनाव लड़कर जीतें.
मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ राकेश कपूर ने कहा, 'मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का सुबह पांच बजकर 35 मिनट पर निधन हो गया.' टंडन के पुत्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन ने जानकारी दी कि लालजी टंडन का अंतिम संस्कार गुलाला घाट चौक में शाम साढ़े चार बजे होगा.उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टंडन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, 'लालजी टंडन के निधन पर देश ने एक लोकप्रिय जन नेता, योग्य प्रशासक एवं प्रखर समाज सेवी को खो दिया है.' उत्तर प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. टंडन को पिछले महीने 11 जून को सांस लेने में दिक्कत, बुखार और पेशाब संबंधी समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत खराब होने के कारण उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्य प्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था.
पीएम मोदी ने जताया शोक- एमपी के राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है. पीएम ने लिखा, ' लालजी टंडन को समाज की सेवा के उनके अथक प्रयासों के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने एक प्रभावी प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई और हमेशा लोक कल्याण को महत्व दिया.उनके निधन से मैं दुखी हूं.'
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर मंगलवार को गहरा शोक व्यक्त किया. मायावती ने ट्वीट किया, 'मध्यप्रदेश के राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में कई बार वरिष्ठ मंत्री रहे लालजी टंडन बहुत सामाजिक, मिलनसार एवं संस्कारी व्यक्ति थे. इलाज के दौरान आज लखनऊ में उनका निधन होने की खबर अति-दुःखद है. मैं उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं.' बसपा सुप्रीमो अगस्त 2003 में जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं, उस समय उन्होंने रक्षाबंधन के मौके पर टंडन को राखी बांधी थी.
पार्षद से शुरू किए थे राजनीतिक का सफर- लालजी टंडन अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत एक पार्षद के रूप में किए थे. इसके बाद वे जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. लालजी टंडन मायावती और कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी रहे. वहीं जब अटल बिहारी वाजपेई ने लखनऊ की लोकसभा सीट छोड़ी तो वे इसपर चुनाव लड़कर जीतें.
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