
.जयपुर। गहलोत सरकार बनने के बाद से राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। बड़े मलाईदार पदों पर गहलोत कैंप से होगी नियुक्ति या पायलट कैंप से होगी नियुक्ति, यह मामला कांग्रेस आलाकमान तक हमेशा गया है। शायद यही वजह है कि मलाईदार पदों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बागी कांग्रेस विधायक सचिन पायलट अपना-अपना कांग्रेसी नेता नियुक्त करना चाह रहे हो, लेकिन यह विवाद इतना गहरायेगा, किसी कांग्रेसी ने सोचा नहीं होगा।
अगर सबसे पहले बाते करें संवैधानिक पदों की, तो विभिन्न आयोगों में पद खाली पड़े है।
राज्य मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आय़ोग, एससी-एसटी आयोग, ओबीसी आयोग, वित्त आयोग, किसान आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, निशक्तजन आयोग, गो सेवा आयोग में नियुक्तियां होनी है।वहीं मलाईदार प्रमुख बोर्ड-निगमों में नियुक्तियां होनी है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम, अभाव अभियोग निराकरण समिति, मदरसा बोर्ड, देवस्थान बोर्ड, हज कमेटी, अल्पसंख्यक वित्त निगम, केश कला बोर्ड, माटी कला बोर्ड, घूमंतु अर्द्ध घूमंतु बोर्ड, मेवात विकास बोर्ड, डांग विकास बोर्ड, हाउसिंग बोर्ड, यूआईटी, उपभोक्ता मंच, साहित्य अकादमियां और बीज निगम शामिल है।
वहीं पिछले डेढ़ साल से राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे कार्यकर्ताओं को अब इसके लिए और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। पहले कोरोना संकट, फिर राज्यसभा चुनाव और अब सत्ता संघर्ष को लेकर दो धड़ों के बीच चल रही सियासी लड़ाई के चलते राजनीतिक नियुक्तियां एक बार फिर से अटक गई है। राजनीतिक नियुक्तियां होंगी भी या नहीं इस पर फिलहाल संशय बना हुआ है। वहीं राजनीतिक नियुक्तियां नहीं से कार्यकर्ता और नेता निराश हैं।
अगर सबसे पहले बाते करें संवैधानिक पदों की, तो विभिन्न आयोगों में पद खाली पड़े है।
राज्य मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आय़ोग, एससी-एसटी आयोग, ओबीसी आयोग, वित्त आयोग, किसान आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, निशक्तजन आयोग, गो सेवा आयोग में नियुक्तियां होनी है।वहीं मलाईदार प्रमुख बोर्ड-निगमों में नियुक्तियां होनी है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम, अभाव अभियोग निराकरण समिति, मदरसा बोर्ड, देवस्थान बोर्ड, हज कमेटी, अल्पसंख्यक वित्त निगम, केश कला बोर्ड, माटी कला बोर्ड, घूमंतु अर्द्ध घूमंतु बोर्ड, मेवात विकास बोर्ड, डांग विकास बोर्ड, हाउसिंग बोर्ड, यूआईटी, उपभोक्ता मंच, साहित्य अकादमियां और बीज निगम शामिल है।
वहीं पिछले डेढ़ साल से राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे कार्यकर्ताओं को अब इसके लिए और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। पहले कोरोना संकट, फिर राज्यसभा चुनाव और अब सत्ता संघर्ष को लेकर दो धड़ों के बीच चल रही सियासी लड़ाई के चलते राजनीतिक नियुक्तियां एक बार फिर से अटक गई है। राजनीतिक नियुक्तियां होंगी भी या नहीं इस पर फिलहाल संशय बना हुआ है। वहीं राजनीतिक नियुक्तियां नहीं से कार्यकर्ता और नेता निराश हैं।
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