
लखनऊ । 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक और नई शुरुआत की है। मुख्यमंत्री की पहल पर गठित 'माटी कला बोर्ड' द्वारा इस दीपावली पर 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के जरिए स्वदेशी को लोकप्रिय बनाने और चीन को मात देने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत 'माटी कला बोर्ड' कोलकाता से प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के सांचे मंगाकर मूर्ति बनाने वाले कारीगरों में वितरित कर रहा है। दीपावली में उत्तरप्रदेश में बनी गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां चीन से आने वाली ऐसी ही मूर्तियों से भी खबसूरत हों, इसके लिए अपने हुनर से मिट्टी में जान डालने वाले 25 हुनरमंदों को अपर मुख्य सचिव 'खादी एवं खादी ग्रामोद्योग' और 'माटी कला बोर्ड' के महाप्रबंधक नवनीत सहगल कोलकाता से मूर्तियों के प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के सांचे मंगाकर दे रहे हैं। देखने में ये पहल छोटी लग सकती है, पर इसका संदेश बड़ा है। पहले चरण में स्वतंत्रता दिवस पर लखनऊ के 25 मूर्तिकारों को ये सांचे दिये गए। आगे भी गोरखपुर और वाराणसी के मूर्तिकारों को ऐसे ही सांचे दिये जाएंगे।
सांचा बनाने के पहले इनमें किस तरह की मूर्तियां बनेंगी, इसके लिए जाने-माने मूर्तिकारों और 'उप्र इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन' के विशेषज्ञों से सलाह ली गई। इन सबकी पहल पर मूर्तिकारों ने जो मूर्तियां बनाईं उनमें से सबसे अच्छी कुछ मूर्तियों का चयन किया गया। इन मूर्तियों के लिए कोलकाता से सांचा बनवाया गया। सांचा आठ और 12 इंच के दो स्टैंडर्ड साइज में हैं।
दीपावली पर बिकने वाली लक्ष्मी-गणेश की इसी साइज की मूर्तियों की सर्वाधिक मांग भी रहती है। इन सांचों से आटोमैटिक मशीनों द्वारा कैसे बेहतरीन फिनिशिंग वाली मूर्तियां तैयार हों, इसके लिए जहां जरूरत होगी वहां बोर्ड की ओर से प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी चलेगा।
--आईएएनएस
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सांचा बनाने के पहले इनमें किस तरह की मूर्तियां बनेंगी, इसके लिए जाने-माने मूर्तिकारों और 'उप्र इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन' के विशेषज्ञों से सलाह ली गई। इन सबकी पहल पर मूर्तिकारों ने जो मूर्तियां बनाईं उनमें से सबसे अच्छी कुछ मूर्तियों का चयन किया गया। इन मूर्तियों के लिए कोलकाता से सांचा बनवाया गया। सांचा आठ और 12 इंच के दो स्टैंडर्ड साइज में हैं।
दीपावली पर बिकने वाली लक्ष्मी-गणेश की इसी साइज की मूर्तियों की सर्वाधिक मांग भी रहती है। इन सांचों से आटोमैटिक मशीनों द्वारा कैसे बेहतरीन फिनिशिंग वाली मूर्तियां तैयार हों, इसके लिए जहां जरूरत होगी वहां बोर्ड की ओर से प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी चलेगा।
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