नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा, राष्ट्रीय जनता दल, जेडीयू, एलजेपी और कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों ने घोषणा पत्र जारी कर दिया है। भाजपा ने कोरोना वैक्सीन मुफ्त लगाने, तो आरजेडी ने दस लाख युवाओं को रोजगार पहली ही कैबिनेट में देने का वायदा किया है। लेकिन इन चुनावी वादों से इतर बिहार चुनाव में जनता को साफ-सुधरा प्रत्याशी, जिस पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हो, ऐसे प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा देखने को नहीं मिल रही है। बिहार के स्थानीय अखबारों में चुनाव आयोग की निर्देशानुसार प्रत्याशियों को अखबारों में विज्ञापन देकर अपने ऊपर लगे आपराधिक मुकदमों की जानकारी देनी पड़ रही है। चाहे आरजेडी हो, या भाजपा, या जेडीयू या एलजेपी सभी पार्टियों में ऐसे उम्मीदवार है, जिन पर रंगदारी, लूट, हत्या, अपहरण जैसे मामले दर्ज है और यह सभी मामले अदालतों में विचाराधीन है।
अब बिहार की जनता अगर अखबार पढ़कर भी ऐसे प्रत्याशी, जिन पर संगीन धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज है, उन्हें चुनाव में विजय दिला देती है, तो फिर यह तय हो जायेगा, कि बिहार में सिर्फ जनता बाहुबली प्रत्याशियों को ही पसंद करती है।
बिहार में 28 अक्टूबर को पहले चरण का मतदान है, इसके बाद 3 नवंबर और फिर 7 नवंबर को मतदान है। इन तीनों ही चरणों के बाद 11 नवंबर को 243 सीटों के लिए मतगणना होगी। लेकिन कोरोनाकाल में जनता को अब चुनाव आयोग की सख्ती के बाद यह पता चला है कि 57 फीसदी प्रत्याशी जो चुनाव मैदान है, उन आपराधिक मामले चल रहे है। अब जनता को यह देखना है कि वह चुनावी घोषणा पत्र देखकर वोट करती है, या प्रत्याशी का क्रिमिनल रिकॉर्ड देखकर मतदान करती है।
बिहार में इस बार आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव को जेल में बंद है, उसके कारण चुनावी रंगत ज्यादा नहीं बन पा रही है। वहीं एलजेपी मुखिया रामविलास पासवास, रघुवंश प्रसाद के दिवंगत हो जाने के कारण भी चुनावी रण में मौजूदा नए चेहरे तेजस्वी यादव, चिराग पासवान ही मैदान में ताल ठोक रखे है। वहीं पीएम मोदी की 12 चुनावी रैलियां होने जा रही है। वहीं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भी चुनावी जनसभाओं का कार्यक्रम जारी हो चुका है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या स्टार प्रचारक अपनी-अपनी पार्टियों के प्रत्याशियों का क्रिमिनल रिकॉर्ड देखेंगे या सिर्फ वोट बंटोरने के लिए राष्ट्रीय मुद्दों या चुनावी वादों पर ही भाषण देंगे। यह बात तो तय है कि स्टार प्रचारक यह नहीं बतायेगा कि हमारी पार्टी के प्रत्याशियों पर इतने आपराधिक मामले दर्ज है। या सफाई नहीं देगा कि रंजिशन मामले चल रहे है। बस स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देकर आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशी अपना चुनाव-प्रचार कर रहे है।
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