भारत मीडिया उत्तर प्रदेश की
प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल की हिंदी वेबसाइट है l भारत
मीडिया एक ऐसा न्यूज़ चैनल
है जिसकी कोशिश हर ख़बर या घटना की जानकारी पूरी सत्यता के साथ और जल्द से जल्द आप
तक पहुँचाने की है । भारत मीडिया की शुरुआत 2014 से हुई है
।
भारत मीडिया आपको वेबसाइट के
जरिये देश-दुनिया, क्राइम, राजनीति, लाइफस्टाइल और मनोरंजन आदि
से जुड़ी पूरी जानकारी उपलब्ध कराता आ रहा है । साथ ही किसी घटना पर प्रतिक्रिया
देने या आपकी आवाज़ बुलंद करने के लिए भारत मीडिया एक साझा मंच भी
प्रदान करता है ।
उत्तर प्रदेश में जल्द ही हमारा
अखबार दैनिक समाचार भारत मीडिया लॉन्च होने जा रहा है । कुल 12
पेज के इस अखबार में 6 पेज कलर होगें । हमारे द्वारा इस अखबार में
उत्तर प्रदेश की स्थानीय खबरों को प्राथमिकता देगें । भारत मीडिया प्रबंधन
ने अखबार की लॉचिंग को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। । उत्तर प्रदेश में एक
नई टीम इस अखबार के लिए बन कर तैयारी हो रही है और स्थानीय खबरों पर हम लोग
अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटे हुये हैं ।
इस न्यूज़ पोर्टल पर किसी भी प्रकार की
सामिग्री प्रकाशन का उद्देश्य किसी की छवि को धूमिल करना या किसी व्यक्ति विशेष की
भावनाओं को ठेस पहुँचना बिल्कुल नहीं है। इस पोर्टल पर प्रकाशित किसी भी चलचित्र,
छायाचित्र अथवा लेख, समाचार से कोई आपत्ति है तो हमें तुरंत ईमेल
कर बता सकते हैं l आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें दिए गए ईमेल पर भेज सकते
हैं । साथी ही हमें फेसबुक ,ट्विटर .लिंक्डइन और यूट्यूब पर फॉलो
करें ।
समाचारों का संग्रह और प्रकाशन बेहद
जिम्मेदारी का कार्य है। अधिकांश खबरें अधिकृत संवाददाताओं के हवाले से प्रकाशित
होती हैं जहां समाचारों के संग्रह के अपने माध्यम नही हैं वहां के खबरों के
प्रकाशन में माध्यम का अनिवार्यतः उल्लेख किया जाता है।
वेबसाइट पर तमाम खबरे और कण्टेण्ट उपलब्ध
हैं यदि कोई समाचार माध्यम इन्हे कट पेस्ट करता है तो निश्चित नियमों के तहत उसे
सदसयता लेनी पड़ती है, एडमिन की अनुमति के बाद ही कोई ऐसा कर सकता है। साथ ही देश
भर के संवाददाताओं को खबरें इकट्ठा करने तथा उन्हे मुख्यालय भेजने का अधिकार दिया
गया है किन्तु पूरी सावधानी से संपादन के बाद ही उन्हे वेबसाइट पर लाया जाता है।
भारत मीडिया का उदे्श्य किसी की
भावनायें आहत करना अथवा समाज का सौहार्द बिगाड़ना नही है अपितु ऐसे हालातों में
मीडिया दस्तक उदे्श्य इसमें सकारात्मक भूमिका निभाते हुये लगातार आगे बढ़ते रहना
है। राष्ट्र सर्वोपरि है इसी आदर्श के साथ बेहतर प्रदर्शन को संकल्पित भारत मीडिया
परिवार लगातार अपने संकल्प में प्रयत्नशील है और आप सभी से अनुरोध है की आप भी
हमारे इस संकल्प को पूरा करने में हमारी सहायता करें ।
आप भारत मीडिया न्यूज़
पोर्टल को बेहतर बनाने में हमारी सहायता कर सकते है, पोर्टल पर प्रदर्शित
होने वाली तस्वीरों और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना/तथ्य मे कमी हो
अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो पूरी जानकारी व तथ्य के साथ वह आप हमे पर भेज कर
सूचित करे । जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके । हमें आपकी सुधारत्मक
प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा है। हम उस पर अवश्य कार्यवाही करेंगे।
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रिपोर्टर, शुरुआत अभी से कर सकते हैं :
आप अपने क्षेत्र/मोहल्ले/गांव के सामाजिक,
आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक व धार्मिक विषयों की सच्ची और निष्पक्ष विस्तृत खबर
बना कर फोटो के साथ व्हाट्सअप या मेल से भिजवाइए, यदि हमारी एडिटोरियल टीम को आपके
द्वारा भेजा गया लेख उपयुक्त लगेगा तो हम उसे “भारत मीडिया ” हिंदी न्यूज़ वेब पोर्टल पर प्रकाशित
करेंगे, संपादक मंडल का निर्णय ही अंतिम व सर्वमान्य होगा.
भारत मीडिया को भारत के हर हिन्दी भाषी हिस्से में News contributors की ज़रूरत है । ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो किसी न्यूज़ चैनल से भी जुड़े हों ।
भारत मीडिया को भारत के हर हिन्दी भाषी हिस्से में News contributors की ज़रूरत है । ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो किसी न्यूज़ चैनल से भी जुड़े हों ।
भारत मीडिया केवल और केवल ओरिजिनल कंटेंट ही स्वीकार करेगा और उसी के लिए
पेमेंट किया जाएगा। News Contributor अगर कहीं से भी खबर को कॉपी करते हैं तो वह
स्वयं जिम्मेदार होंगे ।
ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो डिजिटल मीडिया के बारे में
सीखना चाहते हों और सोशल मीडिया के बारे में समझना चाहते हों। हमें अपने सहयोगियों
से विज्ञापन भी नहीं चाहिए। चाहिए तो सिर्फ और सिर्फ खबर, फोटो, वीडियो यानि
कंटेंट ।
हमें केवल यूनिक, रोचक, फीचर, खबरों की ज़रूरत है। ऐसी खबरों की
ज़रूरत है जो वक्त के साथ पुरानी ना हों। रोजाना घटने वाली साधारण घटनाएं स्वीकार
नहीं की जाएंगी ।
भारत मीडिया पर बेहद सावधानी और गंभीरता से काम किया जाता है क्योंकि हम
मानते हैं कि पत्रकारिता बेहद पवित्र पेशा है। हम कोशिश करते हैं कि हर खबर पूरी
तरह सही हो। इसलिए हम अपनी तरफ से उसकी पूरी तरह जांच करते हैं। हमारी कोशिश रहती
है कि खबर और उसमें समाहित तथ्यों को सही-सही पेश किया जाए ।
भारत मीडिया का किसी पार्टी, विचारधारा से कोई संबंध नहीं है और हम खबरों
में भी इस निष्पक्षता को सुनिश्चित करते हैं । हम किसी दल, समाज, जाति व धर्म के
एजेंडे पर नहीं चलते। हिन्दी के पाठकों तक अच्छी सामग्री पहुंचाना ही हमारा
एकमात्र लक्ष्य है ।
भारत मीडिया पत्रकारिता के मूल्यों और मानकों के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है
और रहेगा। हम हर किस्म की Paid News का विरोध करते हैं । हम हर वैध विज्ञापन,
स्पॉन्सर्ड कंटेंट और प्रमोशनल कंटेंट को स्वीकार करेंगे लेकिन Editorial Values
से कोई समझौता नहीं करेंगे ।
ट्वीट और फेसबुक से जो सामग्री ली जाती है उसमें यही पुख्ता प्रयास
रहता है कि वेरीफाइड अकाउंट से ही एम्बेड कोड लिया जाए । यूट्यूब से जो भी वीडियो
लिए जाते हैं उन पर भी यही सावधानी बरती जाती है ।
फिर भी कभी ऐसा हो सकता है कि हमारी किसी खबर को ‘ग़लत रिपोर्टिंग’
या ‘समझने में भूल’ माना जाए तो इसके लिए भारत मीडिया वेबसाइट से जुड़ा कोई भी
शख्स जिम्मेदारी नहीं ले सकता ।
भारत मीडिया के साथ व्यापार/ विज्ञापन कैसे करें :
अपने व्यापार को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं मात्र कुछ ही
रूपये में प्रतिदिन की दर पर एक माह के लिए विज्ञापन बुक करें ! वेबपोर्टल
पर प्रतिदिन 35,000 से अधिक लोगों की विजिट होती है | इसके अलावा विज्ञापन
का लिंक फेसबुक पेज,ट्विटर आदि द्वारा अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जायेगा ।
यदि आप व्यवसायिक या व्यापारी है तो आप भी हमारे भारत मीडिया,
हिंदी न्यूज़ वेबपोर्टल से जुड़ कर अपने व्यापार/बिज़नेस को आगे बड़ा सकते है। आज
का समय ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल्स का ही है। आज किसी के पास टाइम
नहीं है न्यूज़ पेपर पढने का। आप अपना विज्ञापन अखबार में देते है किन्तु समय की
कमी के चलते लोग उस पर ध्यान ही नहीं देते है, और वो विज्ञापन बस एक दिन के लिए
होता है, उस दिन नहीं देखा तो फिर नहीं आएगा, लेकिन अगर आपका विज्ञापन हमारे
पोर्टल पर रहेगा तो यहाँ हमारे यूजर/पाठक दिन में अपनी सुविधानुसार पोर्टल पर अलग
अलग समय पर आते है, और उस समय वह आपके व्यवसायिक विज्ञापन को बार बार देखेगा जिसका
लाभ आपको मिलेगा।
भारत मीडिया.इन न्यूज़ पोर्टल पर किसी भी प्रोडक्ट /ब्रांड/उत्पाद /शोरूम
/दुकान का विज्ञापन देकर आप अपने ब्रांड को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाकर
अपने व्यवसाय या ब्रांड को पहचान और कामयाबी दिला सकते हैं ।
आप अपने बच्चों के जन्मदिन, शादी/विवाह, सालगिरह,
प्रतिष्ठान/संस्था के वार्षिक महोत्सव, दुकान/शोरूम के उद्घाटन, त्यौहारों (जैसे ;
दशहरा ,दिवाली , गुरुपर्व, वैसाखी , नया साल , क्रिसमस ,होली , लोहरी , मकर
संक्रांति ,ईद ,मुहर्रम इत्यादि) की बधाईओं के सन्देश आदि विज्ञापन
स्वरुप प्रसारित करवाने के लिए सम्पर्क करें , यदि भारत मीडिया वेबसाइट
पर कोई विज्ञापन देना चाहते हैं या किसी अन्य प्रकार के व्यावसायिक अनुबंध के
इच्छुक हैं तो ,हमें ईमेल कर सकते हैं ।
नोट : विज्ञापन से
सम्बंधित बैनर, स्लाइडर ,हैडर व् पॉपअप लगवाएं कुछ ही रूपये महीने मात्र और
कराएं अपने बिज़नेस या खुद को प्रमोट करें मात्र कुछ ही रुपयों में , जल्द
संपर्क करें ।
हम जानते हैं और निभाते भी हैं :
1. पत्रकार को किसी भी विचारधारा से प्रभावित होकर खबर का प्रकाशन
प्रसारण नहीं करना चाहिए। पत्रकार को हर समय न्यायनिष्ट और निष्पक्ष रहना चाहिए।
और सारी जानकारी उसके पास होनी चाहिए
2. खबर की मूल आत्मा के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। खबर जो है
ठीक वैसे ही पेश करना चाहिए। समाचारों में तथ्यों को तोडा मरोड़ा न जाये न कोई
सूचना छिपायी जाये। किसी के सम्मान को ठेस न पहुंचे
3. व्यावसायिक गोपनीयता का निष्ठा से अनुपालन का ध्यान रखना चाहिए।
4 . पत्रकार अपने पद और पहुंच का उपयोग गैर पत्रकारीय कार्यों के
लिए न करें। उदाहरण के लिए- प्राय: ऐसा देखा जाता है कि कई बार ट्रैफिक नियम का
पालन ना करने पर जब पत्रकार को दंडित किया जाता है तो वह खुद को प्रेस से बताकर
अपने पद का दुरुपयोग करता है।
5 पत्रकारिता पर कई बार पेड न्यूज जैसे दाग लग चुके हैं। अत:
पत्रकारिता की मर्यादा का ध्यान रखते हुए एक पत्रकार को रिश्वत लेकर समाचार छापना
या न छापना अवांछनीय, अमर्यादित और अनैतिक है।
6 . हर व्यक्ति की इज्जत उसकी निजी संपत्ति होती है। जिसपर सिर्फ
उसी व्यक्ति का अधिकार होता है किसी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में अफवाह फैलाने
के लिए पत्रकारिता का उपयोग नहीं किया जाये। यह पत्रकारिता की मर्यादा के खिलाफ
है। अगर ऐसा समाचार छापने के लिए जनदबाव हो तो भी पत्रकार पर्याप्त संतुलित रहे।
:- कुछ और मुख्य बात
1. पर्याप्त समय सीमा के तहत पीड़ित पक्ष को अपना जवाब देने या
खंडन करने का मौका दें। उनकी बात सुने
2. किसी व्यक्ति के निजी मामले को अनावश्यक प्रचार देने से बचें।
3. किसी खबर में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए उसमें
अतिश्योक्ती से बचें।
4. निजी दुख वाले दृश्यों से संबंधित खबरों को मानवीय हित के नाम
पर आंख मूंद कर न परोसा जाये। मानवाधिकार और निजी भावनाओं की गोपनीयता का भी उतना
ही महत्व है।
5. धार्मिक विवादों पर लिखते समय सभी संप्रदायों और समुदायों को
समान आदर दिया जाना चाहिए।
6. अपराध मामलो में विशेषकर सेक्स और बच्चों से संबंधित मामले में
यह देखना जरूरी है कि कहीं रिपोर्ट ही अपने आप में सजा न बन जाये और किसी जीवन को
अनावश्यक बर्बाद न कर दे।
7. चोरी छिपे सुनकर (और फोटो लेकर) किसी यंत्र का सहारा लेकर ,किसी
के निजी टेलीफोन पर बातचीत को पकड़ कर ,अपनी पहचान छिपा कर या चालबाजी से सूचनाएं
प्राप्त नहीं की जायें। सिर्फ जनहित के मामले में ही जब ऐसा करना उचित है और सूचना
प्राप्त करने का कोई और विकल्प न बचा हो तो ऐसा किया जाये।
कुछ ऐसी बातें हैं जिससे पत्रकार को फिल्ड में या डेस्क पर काम
करते वक्त हमेशा दो-चार होना पड़ता है, इसलिए उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखने
के साथ-साथ एक पत्रकार को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि-
1. खबर, विजुअल या ग्राफिक्स में रेप पीड़िता का नाम, फोटो या किसी
तरह का कोई पहचान ना हो, फोटो को ब्लर करवाकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
2. न्यायालय को इस देश में सर्वश्रेष्ठ माना गया है इसलिए न्यायालय
की अवहेलना नहीं होनी चाहिए।
3. देश हित एक पत्रकार की प्राथमिकता होती है अत: पत्रकार को देश
के रक्षा और विदेश नीति के मामले में कवरेज करते वक्त देश की मर्यादा का हमेशा
ध्यान रखना चाहिए।
4. न्यायालय जब तक किसी का अपराध ना सिद्ध कर दे उसे अपराधी नहीं
कहना चाहिए इसलिए खबर में उसके लिए आरोपी शब्द का इस्तेमाल करें।
5. अगर कोई नाबालिग अपराध करता है तो उस आरोपी का विजुअल ब्लर करके
ही चलाना चाहिए ।
मैं आज अपने सभी पत्रकार साथियो, बुद्धिजीवियों, सूचना एवं जन
सक्षम्पर्क विभाग में कार्य करने वालो से यह जानना चाहता हूँ कि आखिर पत्रकार किसे
कहते है या पत्रकार कौन होता है । मैंने गूगल, विकिपीडिया तथा अनेक पुस्तको को
खंगाल डाला । लेकिन मुझे पत्रकार या पत्रकारिता की सर्व सम्मत परिभाषा उपलब्ध नही
हो पाई ।
मजे की बात यह है कि सरकारी विभाग भी इसकी परिभाषा से बचते नजर आए
। अनेक विद्वानों ने पत्रकारिता की व्याख्या तो की है, लेकिन असल पत्रकार किसे कहा
जाता है, इस पर कोई एक राय नही है । यहां तक कि प्रेस कौंसिल की वेब साइट पर भी
पत्रकार की परिभाषा का स्पस्ट उल्लेख नही है । मीडिया और प्रेस, ये दो शब्द तो
अवश्य है, लेकिन पत्रकार के फ्रेम में किसे रखा जाए, इस पर कौंसिल भी मौन है ।
अधिकांशत सूचना और जन सम्पर्क विभाग उन्ही पत्रकारो का अधिस्वीकरण
करता है जो फील्ड में काम (रिपोर्टर) करते है । अखबार, चैनल में कार्य करने वाले
उप संपादक, सहायक संपादक, समाचार संपादक, अनुवादक, कॉपी राइटर, स्तम्भ लेखक
पत्रकार नही है ? यदि हाँ तो उनको अधिस्वीकरण की सुविधा क्यो नही ? होता यह है कि
बड़े मीडिया संस्थानों में सैकड़ो पत्रकार (?) कार्य करते है, लेकिन अधिस्वीकरण
लाभ केवल चन्द लोगो को ही मिलता है । ऐसा क्यों ?
कई जेबी संस्थान या अखबार जिनका वास्तविक बिक्री संख्या तो शून्य
होती है, लेकिन फर्जी तौर पर इनका सर्कुलेशन लाखो-हजारो में होता है तथा इसी फर्जी
प्रसार संख्या के आधार पर सरकार से हर माह के फर्जी तौर पर लाखों रुपये के
विज्ञापन, दफ्तर के लिए रियायती दर जमीन भी हथिया लेते है । ये जेबी संस्था अपने
बेटे, बेटी, दामाद, ड्राइवर, गार्ड, रिश्तेदारों को पत्रकार होने का सर्टिफिकेट
देकर अधिस्वीकरण करवाकर सरकार से मिलने वाली सुविधा की मांग करते है और कई जेबी
संस्थाओं ने इसका भरपूर रूप से दोहन भी किया है । संस्थान में कलम घसीटू असल
पत्रकार सरकारी सुविधा पाने से वंचित रह जाते है ।
एक सवाल यह भी पैदा होता है कि मान लो कि किसी व्यक्ति ने
दस-पन्द्रह साल किसी बड़े मीडिया हाउस में काम किया । अपरिहार्य कारणों से आज वह
किसी संस्थान से नही जुड़ा हुआ है । क्या सरकार उसे पत्रकार मानेगी या नही । नही
मानती है तो इसका तर्कसंगत जवाब क्या है ? क्या ऐसा व्यक्ति सरकारी सुविधा पाने का
अधिकारी है या नही ? नही है तो उस बेचारे के दस-पन्द्रह साल कागज काले करने में ही
स्वाहा होगये । सरकारी सुविधा से वंचित रखना ऐसे व्यक्ति के साथ घोर अन्याय है ।
एक सवाल यह भी उठता है कि कोई व्यक्ति पिछले 30-40 साल से विभिन्न
अखबारों/मीडिया हाउस में कार्य कर रहा है । किसी कारण वह स्नातक तक की योग्यता
हासिल नही कर पाया तो क्या उसका अधिस्वीकरण नही होगा ? नही होगा तो किन प्रावधानों
के अंतर्गत ? और होता है तो फिर स्नातक योग्यता की अनिवार्यता क्यो ?
फ्रीलांस पत्रकारो के सम्बंध में भी एक सवाल उठ रहा है । फ्रीलांस
पत्रकार के लिए जहां तक मुझे पता है, सरकार ने 60 वर्ष की आयु निर्धारित कर रखी है
। जिस व्यक्ति की आयु 60 वर्ष है तो निश्चय ही उसने कम से कम 25-30 साल तक तो
अवश्य कलम घसीटी होगी । सरकार ने एक प्रावधान कर रखा है कि उसकी खबर या आलेख
नियमित रूप से अखबारों या पत्रिकाओ में प्रकाशित होने चाहिए ।
सभी को पता है कि बड़े संस्थानों में उनके नियमित लेखक होते है ।
इनके अतिरिक्त वे अन्य के समाचार या आलेख प्रकाशित नही करते । छोटे अखबार आलेख तो
छाप सकते है, लेकिन फोकट में । सरकार क्या यह चाहती है कि उसके नियमो की पूर्ति के
लिए एक वरिष्ठ पत्रकार फोकट में मेहनत करे । यह बेहूदा नियम है जो वरिष्ठ
पत्रकारों के साथ अन्याय है ।
अब आते है पत्रकार संगठनों पर । जिस किसी के पास कोई काम नही होता
है या समाज और सरकार पर रुतबा झाड़ना चाहता है, वह स्वयंघोषित अध्यक्ष बनकर उन
लोगो को अपने जेबी संगठन में शरीक कर लेता है जिनमे पत्रकार बनने की भूख होती है ।
संगठन के लिए ये पहले खुद की जेब से पैसे खर्च करते है और बाद में दूसरों की जेब
काटने का हुनर सीख लेते है । फिर किसी मंत्री को बुलाकर वही रटे-रटाये विषय पर
गोष्ठी का नाटक कर पत्रकारो को सम्मानित करने का करतब भी दिखाते है । यह पत्रकार
संगठनों की असली तस्वीर ।
एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि सरकारी कमेटियों में पत्रकारो की
नियुक्ति । ये नियुक्ति विशुद्ध रूप से चमचागिरी और जी हुजूरी के आधार पर होती है
। परम्परा बनी हुई है कि कुछ बड़े अखबारों से, कुछ तथाकथित पत्रकार संगठनों से तो
कुछ ऐसे लोग होते है जो अफसरों और राजनेताओ की चिलम भरते हो ।
भले ही उन्हें उस कमेटी की एबीसीडी नही आती हो, लेकिन चाटुकारिता
के बल पर पत्रकारो के कल्याण करने वालो की भीड़ में शामिल होकर समाज मे अपना रुतबा
झाड़ते है । सरकार का एक मापदंड है कि कौन पत्रकार उसकी तारीफ करता है और कौन
नुकसान । ये पिक और चूज करने वाली नीति अब नही चलने वाली । सरकार को आरटीआई और
अदालत के जरिये जवाब देना होगा कि फला व्यक्ति को किस आधार पर नियुक्त किया गया ।
बेहतर होगा कि कमेटी के सदस्यों का चयन लॉटरी के आधार पर किया जाए ।
लगे हाथों पत्रकारो से जुड़ी समस्या पर भी चर्चा करली जाए ।
पत्रकार साथी कई दिनों से अपनी बुनियादी मांगों को लेकर क्रमिक धरने पर बैठे है ।
सरकार आंदोलनकारियों को तवज्जो दे नही रही और अखबार मालिकों ने घोषित रूप से
आंदोलन की खबरों के प्रकाशन पर रोक लगा दी है । संभवतया ऐसा पहली दफा हो रहा है कि
जब अखबार मालिकों ने अपने मुंह पर ताला लगा दिया है ।
जरूर कोई ना कोई तो घालमेल है । सरकार को चाहिए कि वे उदारता का
परिचय देते हुए वाजिब मांगों को मानकर अपनी सदाशयता का परिचय दे । लोकतंत्र में
सरकार और पत्रकार परस्पर एक दूसरे के पूरक है । बिना पत्रकारो के सरकार अधूरी है
तो सरकार के बिना पत्रकार भी अपंग रहेंगे । कुछ दिन तक तो एक दूसरे के बगैर काम
चलाया जा सकता है लेकिन लंबे समय तक नही । दूरियां ज्यादा बढ़े, उससे पहले निदान
आवश्यक है
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